Add To collaction

रसोईघर से स्कूल

शीर्षक रसोई से स्कूल तक




कावेरी अपने घर की एक लौटी बेटी थी और उनके गाव में अधिकतर लड़किया ज्यादा पढ़ नही पाती थी क्योंकि वे घर के काम को सीखने में लग जाती थी। 


वहा के गाव की मानसिकता यह थी की उनके घर की लड़किया ज्यादा पढ़ाई न करके घर के काम सीखे और जब शादी हो जाए तब अपनी गृहस्ती को संभाले। 


न जाने कितने समय से यह सब चला आ रहा है और किसी ने इसको बदल नही पाया। 

"उस गाव की लड़किया जब पूरे काम सीख जाती हैं तो आने वाले 1 साल में उनके हाथ पीले करके विदा कर देते थे और कहते थे की अपनी गृहस्ती संभालना और सब ठीक से काम करना"। 

कावेरी भी उसी गाव मे बढ़ी हुई और उसी गाव के स्कूल में पढ़ी लिखी। 
कावेरी अपनी पढाई के प्रति बहुत इमानदार थी और पढाई मे बहुत तेज भी थी। 


जब कावेरी कक्षा 10 उत्तीर्ण की तब उसके घर वाले ने उसकी पढाई रोक दिए और कावेरी से कहे "जितना पढ़ना था पढ़ चुकी अब घर के काम मे लग जा ससुराल जाकर हमारी इज्जत तो बनी रहेगी लड़की को सब सिखाकर भेजा है"। 

कावेरी अपने परिवार से कुछ कह पाती तब उसकी बातो को हर कोई नजरंदाज करता था और उसकी सुन नही पाता था। 


अगले दिन से कावेरी घर के काम काज को सीखने में जुट गई और धीरे धीरे सब कुछ सीखती रही और जब जब अपने पढाई के बारे में कुछ कहती तब उसकी बात को हर कोई काट लेते थे।


" कावेरी अपने घर के किसी कोने मे गुमसुम सी रहती थी और रोने लग जाती थी और खुद से कहती थी मुझे आगे पढ़ना है जल्दी शादी नही करना है पर मेरी यह बात कोई सुनता क्यों नही है "?


कुछ दिनों के बाद कावेरी अपने घर में मां और चाची के साथ काम करने लगी और धीरे धीरे सभी काम करना सिखती रही और 4 महीने तक पूरी कोशिश करते हुए सभी काम सीखने में सफल हो गई।

"जब जब घर में कोई मेहमान आते या घर में कुछ प्रोग्राम हो रहा हो तब कावेरी ही पूरा खाना बनाती थी और सबको देती भी थी"।
बीच बीच मैं जब उसको मौका मिलता तब वह अपने मां से या अपनी चाची से पढ़ाई के विषय मे बात करती थी और उसके मां और चाची उसे समझाते हुए कहते थे "बेटा कावेरी आब तू समझौता कर ले और इसी में तेरी भलाई है,हम जानते हैं तू बहुत ही समझदार है और पढ़ाई के प्रति ईमानदार भी है पर यह गांव यहां की मानसिकता ही ऐसी है बेटा जहा पर हम सभी को झुकना पड़ता हैं और न जाने कितनी कुर्बानी देनी पड़ती है "।



कुछ दिनों के बाद कावेरी के घर वाले कावेरी के शादी के लिए लड़के की तलाश में लग जाते है और उन्हें शुरुवात में थोड़ी दिक्कत जाती हैं पर काफी प्रयास के बाद उन्हें लड़का मिल जाता हैं।

"लड़का बहुत ही अच्छा था उसका कद थोड़ा ऊंचा था और कावेरी से लगभग 5 साल का बड़ा था और कावेरी से शादी के लिए तैयार हो गया था "।

जब कावेरी को लड़के के बारे में पता चला की वह उससे लगभग 5 साल बड़ा है तब कावेरी थोड़ी घबरा गई थी और उस समय कावेरी पढ़ना चाहती थी न की शादी करना पर उसके परिवार में कोई भी उसकी नहीं सुनता था और न ही उसके पढ़ाई के बारे में बात करता था।

अगले दिन कावेरी की शादी के मुहर्त निकालने के लिए पंडित जी के पास गए और पंडित जी ने मूहर्त देखकर बताया कि इन दोनों की शादी का योग आने वाली 15 दिन के बाद है और सभी ने अपनी सहमति से इस दिन को फिक्स कर दिया।


कावेरी भी अब ना चाहते हुए भी शादी के लिए मान चुकी थीं और घर में शादी की तैयारी चल रही थी,लोगो की चहल पहल हो रही थी 
सभी में उत्साह का माहौल भी था और शादी की तारीख धीरे धीरे नजदीक आ रही थी और फिर जब शादी वाली तारीख आई तब बड़ी धूम धाम से दोनो की शादी हो गई और कावेरी अपने ससुराल चली गई।



ससुराल का माहौल उसके लिए नया था और उसे सब कुछ संभालना था , सुबह जब जल्दी उठकर सभी के लिए रसोईघर में नाश्ता तैयार करना और फिर घर का खाना बनाना और रात के समय भी रात का खाना बनाना यह सब कावेरी को ही करना था।

"कावेरी लगातार रसोईघर में यही सब करती थी और फिर बचे हुए काम भी जल्दी खत्म कर लिया करती थी और कावेरी का अधिकतर समय रसोईघर में ही होता था "।



उसके ससुराल वाले जो जो डिश बनाने बोलते वह कावेरी शांतिपूर्वक बनाती थी और कावेरी अपने काम में किसी भी तरह की शिकायत का मौका नही देती थी और अपने काम को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाती थी।




कावेरी के ससुराल में उसका ससुर ,उसकी सास और पति ही था यानि की उसका पति भी अपने मां बाप का एकलौता बेटा था।

कावेरी का पति और ससुर अपने काम से बाहर जाते थे और घर में सास बहू दोनो ही रह जाते थे।
कभी कभी कावेरी की सांस घर के काम में कावेरी की मदद करने लगती थी पर कावेरी मना कर देती थी ।
कावेरी अपनी सास से कहती है की मां जी आप यह सब मत कीजिए और अब मैं हु न सभी काम मैं कर लूंगी।



कावेरी और उसकी सास का समय एक साथ ज्यादा गुजरता था और दोनो एक दूसरे को समझती भी थी और एक दूसरे की परवाह भी करती थी।

एक दिन उसकी सास ने कावेरी से कहा
"बेटा तू इतना कुछ कर रही है और बहुत ही ईमानदार मेहनती भी है दिन भर इस रसोईघर में ही रहती हैं कभी शांति से बैठ भी लिया कर "।
कावेरी बहुत खुश थी की उसकी सास उसके लिए इतना कुछ सोचती हैं।

अगले दिन कावेरी की सास कावेरी के कमरे मे किसी काम से जाती हैं और उसकी नजर कावेरी के एक बैग में पड़ती हैं जिसमें कुछ सामान के साथ कुछ किताबे भी रहती हैं।

और वह कावेरी को बुलाकर कहती हैं बेटा यह तुम्हारे समान के साथ में किताबे क्या कर रही है? तब कावेरी किताबो को देखकर रोने लग जाती है और रोटी ही रहती हैं।

उसकी सास ने कहा "बेटा  क्यो रो रही हो? मैने कुछ गलत कह दिया"।

कावेरी कहती है मां जी आप यह किताबे के बारे में पूछ रही थी ना तो मुझे कुछ याद आ गया था तब उसकी सास कहती हैं बेटा बताओ क्या याद आया था?

कावेरी कहती हैं मां जी मुझे शुरुवात से पढ़ने का शौक था और मैं बहुत ही ईमानदार थी अच्छी भी थी और खूब मेहनत भी करती थी
और मैंने 10 तक पढ़ाई की आगे की कक्षा में भी पढ़ना चाहती थी पर ऐसा हो नहीं पाया मेरे परिवार ने यह शादी करवा ली।

मैं इतने जल्दी शादी न करते हुए आगे बढ़ना चाहती थी आगे पढ़ाई करना चाहती थी जो पूरा हो न सका और न ही मेरे परिवार वालो ने यह बात की।

तब उसकी सास अपनी बहु की पूरी बात सुनने के बाद कहती हैं जब से यहां पर आई है मैने तुझको रसोईघर में ही देखा है पर अब नही तू रसोईघर से निकलकर बाहर स्कूल में पढ़ाई करेगी ।
और तेरा आगे की कक्षा में एडमिशन के लिए प्राचार्य सर जी से बात करूंगी बस अब तू अपनी आगे की पढ़ाई में लग जा।

तब कावेरी कहती हैं मां जी घर का काम सब कैसे हो जायेगा यदि में पढ़ने चली गई तो तब उसकी सास ने कहा बेटा उसकी चिन्ता मत कर हम एक नौकरानी लगा देंगे और मैं तेरे पति, ससुर को भी बता दूंगी बस तू पढ़ाई में ध्यान दे।


अगले दिन कावेरी अपने रसोईघर से निकलकर स्कूल में 11 वी कक्षा में प्रवेश लेने के लिए गई और अपनी नई किताबो को पढ़ने लगी।

अब कावेरी स्कूल जाती थी और खूब पढ़ती भी थी और उसके ससुराल वाले भी कावेरी के सपोर्ट में थे।

कावेरी जब स्कूल से घर आती थी तब कुछ काम करने लगती थी पर उसकी सास चाहती थी की वह इधर ध्यान न देते हुए अपनी पढ़ाई में ध्यान दे।

कावेरी रोजाना स्कूल जाकर पड़ती थी और अब कावेरी 12 कक्षा में प्रवेश कर चुकी थी और कावेरी ने अपने मेहनत से 12 की कक्षा को भी सफल की।

और कावेरी के स्कूल जाने का सपना पुरा हुआ और उसने अपनी मेहनत से कक्षा 11 वी और कक्षा 12 वी में सफल हो गए।


कावेरी स्कूल के साथ साथ घर के काम भी करने लगी थी और पूरे सच्चे मन से
सच्चे दिल से करती थी और वह बहुत खुश थी की उसे ऐसा ससुराल मिला जहां पर हर कोई उसकी पढ़ाई के लिए सपोर्ट किया उसके बारे में सोचा ।।।।

इस कहानी से यह भी सीखने मिलता है या सबक मिलता है की यदि हमारे देश की लड़किया आगे पढ़ना चाहती है तो उन्हे पढ़ाना चाहिए।
घर के काम काज सिखाना अच्छी बात है पर उन्हें पढ़ाना भी चाहिए आगे बढ़ाना भी चाहिए।

आज कल की ऐसी मानसिकता जिनकी भी बनी हुई हो तो उसमें बदलाव लाना चाहिए और हमारे घर की बहू बेटियो को आगे पढ़ना चाहिए।
न जाने कितने सारी लड़कियां है जो अपने परिवार की खुशियों के लिए अपनी पढ़ाई की कुर्बानी दे देती है और आगे बढ़ नही पाती
यदि तुम्हारे अंदर पढ़ने की शक्ति है तो पढ़िए और आगे बढ़े।

और पढ़ाई के साथ साथ में घर के काम धंधे को भी सीखते रहिए।
पढ़ाई करना हम सभी का अधिकार है और इसे सभी को करना चाहिए ।

काम ऐसा करो कि नाम बन जाए न की दुनिया के सामने बदनाम होना पड़े।


Priyanshu choudhary 

#प्रतियोगिता हेतु 




   27
4 Comments

Khushbu

12-Feb-2024 11:14 PM

Nice one

Reply

Gunjan Kamal

12-Feb-2024 03:53 PM

👌👏

Reply

Mohammed urooj khan

12-Feb-2024 01:17 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

Reply